जो जानता नहीं कि वह जानता नही, वह मुर्ख है - उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नहीं कि वह जानता है, वह सोया है - उसे जगाओ। जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है - उसे गुरु बनाओ।
जिसके पास स्वास्थ्य है, उसके पास आशा है तथा जिसके पास आशा है, उसके पास सब कुछ है।
मौन के वृक्ष पार शान्ति का फल उगता है।
निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है।
हरेक बर्तन से वही छलकता है जो कि उसमें होता है।
'अल-मिस्ल फ़िल कलाम कल-मिल्ह फ़ित-तआम' यानी बातों में कहावतों या मुहावरों और उक्तियों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि खाने में नमक की।
मनुष्य भूलों का अवतार है।
परमात्मा जब किसी आदमी को बनाता है, और दुनिया मे भेजने से पहले उसके कान में कहता है की, मैंने तुझसे अच्छा, तुझसे श्रेष्ट किसी को नहीं बनाया है और आदमी इसी मजाक के सहारे सारी ज़िन्दगी काट लेता है पर शिष्ठाचारवश किसी को कुछ नहीं कहता। पर शायद उसे पता नहीं की परमात्मा ने यही बात सबके कान में कही हुई है।
जिसके पास स्वास्थ्य है, उसके पास आशा है तथा जिसके पास आशा है, उसके पास सब कुछ है।
मौन के वृक्ष पार शान्ति का फल उगता है।
निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है।
हरेक बर्तन से वही छलकता है जो कि उसमें होता है।
'अल-मिस्ल फ़िल कलाम कल-मिल्ह फ़ित-तआम' यानी बातों में कहावतों या मुहावरों और उक्तियों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि खाने में नमक की।
मनुष्य भूलों का अवतार है।
परमात्मा जब किसी आदमी को बनाता है, और दुनिया मे भेजने से पहले उसके कान में कहता है की, मैंने तुझसे अच्छा, तुझसे श्रेष्ट किसी को नहीं बनाया है और आदमी इसी मजाक के सहारे सारी ज़िन्दगी काट लेता है पर शिष्ठाचारवश किसी को कुछ नहीं कहता। पर शायद उसे पता नहीं की परमात्मा ने यही बात सबके कान में कही हुई है।
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