Saturday 10 August 2013

फ़ारसी कहावत

परमेश्वर पर भरोसा रखिए, लेकिन अपने ऊंट को भी खूंटे से कस कर बांधे रखिए।

‘हर सुख़न मौक़ा व हर नुक़्ता मुक़ामे दारद’ यानी हर बात और बिंदु की अपनी एक जगह होती है।

ख़ुशबू को इत्र बेचने वाले की सिफ़ारिश की ज़रूरत नहीं होती। 

जो तुम पर छोटा पत्थर फेंके तुम उस पर उससे बड़ा पत्थर फेंको। 

'कूह बे कूह नेमी रसद अम्मा आदम बे आदम मी रसद' - एक पहाड़ दूसरे पहाड़ के हाथ नहीं लगता किंतु आदमी तो कभी न कभी आदमी के हाथ आवश्य लगता है। 

'दाख़िलेमून ख़ुदेमून रो कुश्त व बीरूनेमून मर्दुम रो', जिसका तात्पर्य है, विदित रूप से किसी रोचक वस्तु को देख कर उससे ईर्ष्या करना किंतु उसे प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों की अनदेखी कर देना। 

'जहाँ-दीदा बिस्यार गोयद दरोग़' यानी अधिक दुनिया घूमा हुआ अधिक झूठ बोलता है।

'तुख़्मे मुर्ग़ दुज़्द, शुतुर दुज़्द मीशे' - मुर्ग़ी का अण्डा चुराने वाला अंततः ऊंट की चोरी करता है। 

सबकी मौत तो जश्न के क़ाबिल होती है। 

कोई भी जो़डा लगातार तीस दिनों तक शहद और पानी का सेवन करता है तो उनकी वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय और स्वर्गिक आनंद से भरा हुआ होता है। 

नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। 

'तन हम दाग, दाग़ सूद, पम्बा कुजा नेहाम' (पूरे बदन पर दाग़ ही दाग़ हैं) में कितनी जगह फाया रखूं। 

झूटे की याद दाश्त बहुत कमज़ोर होती है। 

'हरचे आमद इमारते नो साख्त' मतलब कि जो भी आया उसने एक नई इमारत बनवाई। 

अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। 

'दरमियाने कअरे दरिया, तख्ताबंदम कर दइ, वाज मी गोई की दामन तर मकुन हुशियार वाश' अर्थात ये नाविक तूने मुझे नदी के बीच लाकर पटक दिया है और कहता है देख हुशियार रहना तेरा दामन गीला न होने पाए। 

जो ऊपर जाता है वह नीचे भी आता है।

जबान के घाव सबसे गहरे होते हैं। 

'सामने बैठे मूर्ख को कभी मूर्ख न कहो क्योंकि वह मूर्ख है' वरना मुसीबत लाजमी है।

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